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तीन करोड़ 18 लाख की परियोजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, अपनी गर्दन बचाने में जुटे जिम्मेदार

तीन करोड़ 18 लाख की परियोजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, अपनी गर्दन बचाने में जुटे जिम्मेदार

 
विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजी लिखित शिकायत

बलरामपुर में राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिले के सैंकड़ो गांवों में पानी भर चुका है। लोग आवागमन के लिए नाव व अन्य साधनों से किसी तरह जीविका चला रहे हैं। जिन पर इस बाढ़ को रोकने की जिम्मेदारी होती है वो मोटी मलाई काटकर किनारे हो जाते है और सारी मुसीबत ग्रामीणों पर आ जाती है जिसका दंश वो महीनों सालों झेलते रहते हैं।

ऐसा ही कुछ महरी गांव में देखने को मिला जहां कटान से रोकने के लिए बनाए गए तटबंध को राप्ती नदी ने अपने आगोश में ले लिया है। मानसून आने के पूर्व 3 करोड़ 18 लाख रुपये की लागत से महरी गांव को कटान से बचाने के लिए यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। राप्ती नदी में आई पहली बाढ ने ही सिंचाई विभाग/बाढ़ खण्ड में फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।

महरी गांव को कटान से बचाने के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, वह पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है यहां कटान निरोधक प्रोजेक्ट में बोल्डर पिचिंग, जियो बैग, ईसी बैग और परक्यूपाइन लगाकर किसी तरह कटान को रोकना था लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत मानसून के पूर्व ही नदी के नीचे दो मीटर की गहराई से पिचिंग करते हुए तटबंध बनाना था। राप्ती नदी के तेज प्रवाह ने पूरे तटबंध को देखते ही देखते अपने आगोश में ले लिया है नतीजा है कि महरी गांव और आसपास के आधा दर्जन गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है। महरी गांव के अतिरिक्त भोजपुर, वीरपुर कला, कुल्हुइयां और किठूरा सहित कई गांवों में पानी भर गया है।

सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता जेके लाल ने बताया की महरी गांव पर कटान निरोधक कार्य की परियोजना प्रगति पर थी जिसकी लागत 3 करोड़ 18 लाख रुपये है इस परियोजना का 70% कार्य पूरा किया जा चुका था। लेकिन अब राप्ती नदी में आई बाढ़ में सब समाहित हो चुका है।

सूत्रों की माने तो इस बात की जानकारी होने पर गैसड़ी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू ने तटबंध कटने के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र लिखा है, जिसमें बाढ़ खंड में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए इसकी जांच कराए जाने की मांग की है।

वहीं अगर कल्याणपुर गांव की बात करें जो कि सदर विकास खंड के अंतर्गत आता है वहां भी बाढ़ खंड ने पिछले वर्ष मंदिर और प्राथमिक विद्यालय को बचाने के लिए करोड़ों का बजट खारिज किया था लेकिन ना तो उस गांव में स्कूल बचा और ना ही मंदिर। आलम यह रहा कि जहां गांव था वहां पानी ही पानी हो गया और लोग पलायन करके नदी के किनारे विस्थापित हो गए। अब भी वहां बाढ़ खंड के अधिकारी विस्थापित हुए लोगों के मकानों को बचाने व कटान को रोकने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन अभी भी काम की हालत वैसी ही है।

अपर जिला अधिकारी अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि दोनों मामलों की जानकारी प्राप्त हुई है जो जांच का विषय है। हालांकि कल्याणपुर में अभी भी बाढ़ खंड के अधिकारी काम कर रहे हैं उस स्थान पर कटान तेज है ग्रामीणों को विस्थापित कर कहीं अन्य स्थान पर जमीन देकर बसाया जाएगा।

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