लखनऊ। जीवन के लक्ष्य का मार्ग राम चरित्र के अनुसरण से प्राप्त हो सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति के बाद मन को शांत रखना तथा सफलता का श्रेय मिलकर बाटना यह
सभी बातें हमे राघव चरित्र से सीखने को मिलती है।
उक्त विचार हरि ओम तिवारी के द्वारा युवा आध्यात्मिक संवाद में व्यक्त किये गए। संवाद में रामायण के अलग – अलग चरित्रों पर विस्तृत रसपान उपस्थित जनों के द्वारा किया गया।
मकर संक्रान्ति के पावन अवसर पर प्राचीन हनुमान मंदिर परिसर अलीगंज में युवा आध्यात्मिक संवाद का आयोजन किया गया। संवाद में राघवचरणाअनुरागी अयोध्या नगरी से पधारे हरिओम तिवारी ने भगवान राम के चरित्र को युवा को धारण करने की प्रेरणा दी मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र का वर्णन करते हुए कहाँ कि भगवान राम न तो वनवास के समय विचलित हुए और न ही राज्याभिषेक के समय बहुत आनान्दित । वक्ता ने अपने विचारो से भगवान राम के चरित्र का गुणगान किया उन्होंने कहा जब मानव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान के रस का पान करने लगता है तो संसार का सारा रस बेकार लगता है ।जिस प्रकार पवनपुत्र हनुमान भगवान राम के रस का पान करने के बाद अपना कोई भी परिचय भगवान राम के अनुयायी व सेवक के रुप में ही देते है ।