बीडीओ सदर और बीएसए पर डीएम का आदेश बेअसर, मनमाने वक्त पर आते हैं दफ्तर
बलरामपुर। यूपी के बलरामपुर में अधिकारियों की कार्यशैली में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है। जिले में तैनात जिलाधिकारी श्रुति के लाख प्रयास कर रही हैं लेकिन इन मनमाने अधिकारियों पर उनकी भी नहीं चलती है।
जी हां हम आपको बताते चलें कि अभी कुछ दिन पहले ही जिलाधिकारी श्रुति ने एक आदेश जारी करते हुए सभी लापरवाह अधिकारियों को यह चेताया था कि उन्हें सुबह 10:00 बजे से 12:00 बजे तक के बीच अपने कार्यालय में बैठकर जनसुनवाई करनी है। यह आदेश खासकर उन अफसरों के लिए लागू किया गया था जो कि ज्यादातर फील्ड में ही रहते हैं और आम जनता उनसे समय अभाव के कारण मिल नहीं पाती है।
जिससे समस्याएं जस की तस बनी रहती है।
लेकिन डीएम श्रुति के इस आदेश का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। कुछ दिन पहले पत्रिका न्यूज़ की टीम ने 23 जुलाई 2021 को सदर विकास खंड में तैनात बीडीओ राजेश कुमार के कार्यालय व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामचंद्र के कार्यालय पहुंचकर रियलिटी चेक किया था।
जिसमें यह दोनों अधिकारी अनुपस्थित मिले थे पत्रिका न्यूज़ की टीम ने पूरे मामले पर जिलाधिकारी श्रुति से बात भी की थी। जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की बात कही थी साथ ही आदत में सुधार न लाने पर शासन को चिट्ठी लिखने की भी बात कही थी।
पत्रिका न्यूज़ की टीम ने एक बार फिर आज 10 अगस्त 2021 को दोनों अधिकारियों के कार्यालय पर पहुंचकर रियलिटी चेक किया कि इन अधिकारियों की आदत में कुछ सुधार आया है या नहीं !
लेकिन यह दोनों अधिकारी 10:15 से 10:30 के भीतर जब तक कि हमारी टीम वहां मौजूद थी कार्यालय से नदारद थे जबकि दोनों कार्यालय के कर्मचारी कार्य करते नजर आए। कर्मचारियों ने बताया कि साहब अभी नही आये हैं।
इस बाबत जब जिलाधिकारी श्रुति से दोबारा बात की गई तो उन्होंने मामले में पुनः कार्यवाही करने की बात कही है। अधिकारियों के इस कार्यशैली से आप खुद ही समझ सकते हैं कि जिले में तैनात जिलाधिकारी का इन अधिकारियों पर कितना नियंत्रण है और उनके आदेश का कितना अनुपालन यह मातहत करते हैं।
आदेश हुए काफी वक्त बीत चुका है दो बार रियलिटी चेक में यह दोनों अधिकारी अनुपस्थित मिले हैं। यह जिला मुख्यालय का हाल है जहां जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी सहित तमाम आला अधिकारी मौजूद रहते हैं। अब जिले का यह हाल है तो दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों या अन्य तहसीलों में अधिकारियों का क्या हाल होगा यह आप इस रिपोर्ट से बेहतर समझ सकते हैं।